Monday, March 19, 2007

कटे न रैन

कटे न रैन
मेरे दिल बता तुझे कहाँ मिलेगा चैन
कटे ना रैन

जब चाँद गहरी झील के, उस थरथराते जिस्म पर
चाँदी की चुनरी बुन गया, ऐसा लगा सब थम गया
ये जिन्दगी फिर से मुझे अब रास क्यों आने लगी
यूँ दूर होते हुए भी तू पास क्यों आने लगी

उस ख्वाब के टुकड़े से जी भर खेलकर भी, थके न नैन
कटे न रैन

मेरे दिल बता तुझे कहाँ मिलेगा चैन
कटे न रैन

© Kamlesh Pandey 'शजर'

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