पिया अब तो मिल
आ के साहिलों पर
मिले रात दिन
खिले रंग बिखरकर
पिया अब तो मिल
आ के साहिलों पर
सागरों की नीलगू गहराइयाँ भी पाट दी
इतनी नदी मैंने उड़ेली रात तेरी याद की
बहका समन्दर
भर आया दिल
पिया अब तो मिल
आ के साहिलों पर
नक्श-ए-पा तेरा सजा लूँ रेत पर इक घर बना लूँ
वक्त की लहरों से खेलूँ सीप से मोती चुरा लूँ
प्यार उमड़े ज्वार बनकर
डूबे दिल
पिया अब तो मिल
आ के साहिलों पर
सुर्ख़ रंग भी शाम के फीके पड़े तेरे बिना
देखकर कुछ रंग आये हाथ की तेरे हिना
आती सँवरकर
तारों की महिफ़ल
पिया अब तो मिल
आ के साहिलों पर
आ के साहिलों पर
मिले रात दिन
खिले रंग बिखरकर
पिया अब तो मिल
आ के साहिलों पर
सागरों की नीलगू गहराइयाँ भी पाट दी
इतनी नदी मैंने उड़ेली रात तेरी याद की
बहका समन्दर
भर आया दिल
पिया अब तो मिल
आ के साहिलों पर
नक्श-ए-पा तेरा सजा लूँ रेत पर इक घर बना लूँ
वक्त की लहरों से खेलूँ सीप से मोती चुरा लूँ
प्यार उमड़े ज्वार बनकर
डूबे दिल
पिया अब तो मिल
आ के साहिलों पर
सुर्ख़ रंग भी शाम के फीके पड़े तेरे बिना
देखकर कुछ रंग आये हाथ की तेरे हिना
आती सँवरकर
तारों की महिफ़ल
पिया अब तो मिल
आ के साहिलों पर
अब तो मिल
पिया अब तो मिल
मिल अब तो तट पर समन्दरों के
पिया अब तो मिल आ के साहिलों पर
© Kamlesh Pandey 'शजर'
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