किसी उम्मीद के साये
बिना देखे
बिना जाने
लगा आये
दिल
बिना देखे
बिना जाने
लगा आये
दिल
तुम
पहेली हो कोई
अनबूझ सी
अपने में ही
खोई हुई
स्वप्निल
बता
क्या नाम दूँ
उस अहसास को
उस ख्वाब को
जिसमें है तू
शामिल
अगर तुम
हमराह हो
फिर क्या मुझे
परवाह हो
मिले ना मिले
मंज़िल
मुझे
अब बस यही
है आरज़ू
है जुस्तजू
हो जाये तू
हासिल
कहानी को मेरी
अन्जाम दे
दे दे जहर
या जाम दे
आराम दे
काटिल
© Kamlesh Pandey 'शजर'
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