तेरी चाह की धूप का टुकड़ा, जेब में रखकर के चलता हूँ. कोई तनहाई से कह दे,
मुझको उसका ख़ौफ़ नहीं है!
Sunday, March 11, 2007
सोचा है आज
सोचा है आज कह दूं मैं बात छुप ना सकेगा मुझसे ये राज खुले ना खुले मेरी ज़ुबान नज़रे तो कर ही देंगी बयान सारी की सारी जब दास्तान तो फ़र्क़ क्या कल हो की आज सोचा है आज कह दूं मैं बात
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