Sunday, March 11, 2007

सोचा है आज


सोचा है आज
कह दूं मैं बात
छुप ना सकेगा
मुझसे ये राज
खुले ना खुले मेरी ज़ुबान
नज़रे तो कर ही देंगी बयान
सारी की सारी जब दास्तान
तो फ़र्क़ क्या
कल हो की आज
सोचा है आज
कह दूं मैं बात


© Kamlesh Pandey 'शजर'

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